Book Title: Darshan aur Chintan Part 1 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Sukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad

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Page 938
________________ महादेव ४ [ ५८८ ] मलधारी (हेमचन्द्र) ४४६ । जन्म समय की परिस्थिति २६ मलयगिरी २४३, ३०३, ३२१,३६८, जाति और वंश २७ ४२३, ४४७, ४४८ के विभिन्न नाम २७ मल्लवादी ३०६, ३६४, ४२६, ४४७, का गृह जीवन २७ ४४६, ४५१, ४५३ साधक जीवन २८ महतारज ३१ उपदेशक जीवन ३० महमूद गजनी ४६९ का संघ ३१ महात्मा २३२ उपदेश का रहस्य ३२ विपक्षी ३३ महाभारत ८४, ८५, १११, २९६ ऐतिहासिक दृष्टिपात ३४ महाभारत शान्तिपर्व २२८ माता-पिता ३६,४१ महाभाष्य ११८, ४९४ मेरु कम्पन ३६, ४१, ४२ महायान ४८,८१ गर्भापहरण ३८, ४१ द्वारा मांस का विरोध ८१ देवागमन ४२,४८ महायानावतारकशास्त्र ६७ जीवन सामग्री ४३ महावग्ग १७२ जीवन के दो अंश ४३ महावस्तु ४२, ४८ वैदिक साहित्य में निर्देश नहीं ४४ . महावाक्यार्थ ४०८ पशुवधविरोध ४५ महाविदेह ४० और पार्श्वनाथ ४६ महावीर ३, ५, ६, ८, १२, १३, अस्पृश्यता विरोध ४५ २६-४६, ५४-५९, ८०, ८८, की नग्नता ४७ ८६, ९७, ९८, १०४, १०७, के साधु अचेल और सचेल ४७, १०८, १०, ११२, ११४, १२१, १४५, १५०-१५२, ज्ञातृकुल ४७ २०५, २१७, २१८,२३४, ३२७, निग्रन्थ ४७ ३५०, ४१३,५००,५०२,५०५, दीर्घ तपस्या ४७,६१ ५१०, ५१५, ५४१, ५४२ विहार क्षेत्र ४७, ६१ के माता-पिता पार्वापत्यिक ५ गोशालक ४७ को प्राप्त पार्श्व परंपरा ६ निर्वाण समय ४७ द्वारा पार्श्व परंपरा का उल्लेख ८ | कल्पसूत्रगत जीवन ४८ अपने को केवली कहना ८ चौदह स्पप्न ४८ द्वारा चातुर्याम के स्थान में पञ्च विहार चर्या ४८ याम १२, ४६, १८ श्राचार-विचार ४६ का अचेलत्व १३ और बुद्ध ५४-५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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