Book Title: Darshan aur Chintan Part 1 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Sukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 933
________________ पर्याप्ति ३०५ का स्वरूप ३०५ के भेद ३०५ पर्याय १७२, ३७३, ४५३ पश्यन्ती ४२० पांचयम २५७ विषयक मतभेद २५७ पाटण ४५५ पाटलिपुत्र ८७ पातलदर्शन २८८, २६१, २६४ पातञ्जलयोगदर्शन २५३, २६६, ३३० पातञ्जलयोगशास्त्र १६ पातञ्जलयोगसूत्र ४२५ पातञ्जलसूत्र ३८४, ५२४, ५२६ वृत्तिं ( यशो ) २६३ पारमार्थिक ४३८ पारसी १९३ की आवश्यक क्रिया १९३ पारस्करीय गृह्यसूत्र ८३ पारिणामिक ३३८, ३३६ [ ५८३ ] पारिभाषिक शब्द २९७ पार्श्वनाथ ३, ४, ८, ११, १३, १४, १७, ४६, ४८, ५१, ५८, ७६ ८६, ६५, १७, १८, १२०, १४५, ५१४, ५४१ की विरासत ३ का विहारक्षेत्र ४ का चातुर्याम धर्म ७, १३, ४६ का संध ८ का आचार ११ ६८ के चार याम १४, की परंपरा ४६ बनारस में जन्म ४८ विहार क्षेत्र ४८ Jain Education International तामस तपस्या निवारण ७. की परम्परा में तपस्या ६५ की परंपरा का श्राचार ६७ पार्श्वपत्यिक ४, ५, ८, ५७, पिंजरापोल ५१७ ८६ पुग्गल ६ पुण्यपाप -- की कसौटी २२६ पुण्यविजयजी ४८२, ४८ का कार्य ४८६ पुद्गलपरावर्त २८६ चरम और अचरम २८६ पुनर्जन्म १३३, १३४ पुनर्जन्मवाद ४३४ संमत अभिजाति ११२ पुरुष १६१ पुरुषार्थसिद्धि उपाय ५२४. पुष्टिमार्ग १५६ पूज्यपाद ६४, ३१८, ३८५, ३९८, ४७१, ४७२, ४७७, ४७८ पूज्यपाद देवनन्दी ६०, ६१, ४४२, ४४७ पूरण कस्सप १२, ११२, ११४ पूर्णकश्यप ३२ पूर्व १७, १८, १०८ चौदह १७ शब्द का अर्थ १८ गत १८ महावीर पहले का श्रुत १०८ पूर्वगतगाथा ४१८ पूर्वमीमांसक ३५३, ३५६ पूर्व सेवा २९१, २६२ पूर्व सेवाद्वात्रिंशिका २६१ पोग्गल ६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 931 932 933 934 935 936 937 938 939 940 941 942 943 944 945 946 947 948 949 950