Book Title: Darshan aur Chintan Part 1 2
Author(s): Sukhlal Sanghavi
Publisher: Sukhlalji Sanman Samiti Ahmedabad
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[ ५८२ ] वैशेषिक २२८
पञ्चमहावत ८ नैरात्म्य भावना ४३६
पञ्चसंग्रह २४०, २५६,३०५, ३१६ नैष्कर्म्य सिद्धि ३९५ .
३२१,३२८,३२६,३३४,३३५ न्याय १७२, ४०३, ४१२, ४६४. ४७९, ५०१
पञ्चेन्द्रिय ३०० न्यायकुमुदचन्द्र ४६, ३८७, ३९३, पतञ्जलि १११, ४८४ ४६२, ४६३, ४६९
पत्रपरीक्षा ३६७ का प्राक्कथन ४६३
पदार्थ ४०८ की टिप्पणी ४६९
पदमविजय ४५५ न्यायदर्शन २१२, ३३४, ३९१-२- |
पदमसिंह ४५५
परमज्योति न्यायदीपिका ४६१
पञ्चविंशतिका ५२६ न्याय प्रमाण स्थापन युग ३६५ परमाणु १२६, १६१, १६२, ३५७ न्यायप्रवेश ३६७
दार्शनिकों के मतभेद १२६ न्यायबिंदु ३६७, ३७७, ४२२, ४५९
परमाणुपुञ्जवाद १६६ न्यायभाष्य १७२, ३९९, ४५९
परमाणुवादी २०६ न्यायमुख ३६७, ४५६
परमात्मा २०९, २७४, ३७३, ४३६ . न्यायमंजरी ३९९, ४५९
परमेष्ठी ५२२, ५२८, ५३१ न्यायवार्तिक ३८५, ३६५
का स्वरूप ५२२ ।
पांच ५२८ न्यायवैशेषिक १२६, १२७, २१०, २२५, .३४९, ३५१, ३५३,
को नमस्कार क्यों ? ५३१ ३५९,३९७,३९८, ४२८, ४२६,
परिग्रहपरिमाणव्रत ५२१ ४३१, ४३३, ४३७, ५०० . परिणामवाद ३५५, ३५६ न्यायसार ४५९
का स्वरूप ३५६ न्यायसूत्र ३८१, ६६६, ४६०, ५०१ / परिणामी नित्य ३७२ न्यायावतार ३६४, ३६७,४८०,३८३, | परिभाषा
३८५, ३८७,४०४, ४५९, ४७२ । की तुलना ३९७ वार्तिक वृत्ति ५६२
परिव्राजक २०६ पउमचरियं ४१
परिहारविशुद्धि ३४० पएसी ५
परोक्षामुख ३६७, ४२४ पंचयाम ५१५..
परोक्ष के प्रकार ३७१ पकुधकच्चायन ३२ पक्खियसुत्त २०२
पर्याप्त ३०३ पक्षधर मिश्र ४६४
दो भेद ३०३
SAR
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