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यदि आप इतिहास की गहराई में उतरकर देखेंगे, तो मगध, अंग, विदेह, लिच्छवी, गणतन्त्र आदि तात्कालिक नामों से पहचाना जानेवाला भूभाग हजारों जैन साधु-साध्वियों एवं बौद्ध भिक्षुओं के सत्य-अहिंसा के प्रचार के लिए किए जाने वाले विहार (यात्रा) के कारण बिहार नाम से प्रसिद्ध हुआ I परन्तु, आज सिर्फ नाम की ऐतिहासिकता रह गई है । आज एक भी बिहारी नहीं मिलेगा, जो जैन हो या बौद्ध हो । प्राचीन युग की सारी स्मृतियाँ लुप्त हो गईं । यहाँ महाश्रमण महावीर का इतिहास भी सो गया और तथागत बुद्ध का भी वीरायतन उन सुप्त स्मृतियों को उजागर करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है | सेवा एवं साधना के माध्यम से उसने काफी प्रगति की है और वह निरन्तर आगे बढ़ रहा है भगवान महावीर के ज्योतिर्मय दिव्य सन्देश की ज्योति को जन-जन के मन में जगाने के लिए, जन-जन के मन में विश्व बन्धुत्वं एवं मैत्री भाव तथा अहिंसा की ज्योति जगाने के लिए ।
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जनवरी १९८३
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