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रहा है । अंग-बंग, कलिंग, मगध असम आदि में वहाँ से क्यों भाग खड़े हुए हम ? दुष्काल पड़ते रहे, इसलिए न ? स्पष्ट है, भूखे पेट ने सारा टाट उलट दिया। विरोधी राजाओं के आक्रमणों ने भी । साफ बात है, शरीर से परे विचरने का सिद्धान्त बघारने वाले अध्यात्मवादी त्यागी वर्ग को भी, जिजीविषा ने मृत्यु भय से कातर बना दिया और अपने चिरागत मूल केन्द्र से, जन्मभूमि से उसे भगा दिया । कोई कब तक जीवन और उसकी अनिवार्य आवश्यकताओं को अहं भरे मन से नकारता रहेगा । पाद - विहार एक समस्या है, जैन-धर्म के लिए । दीन-हीन स्थिति में भूखे पेट गाँव-गाँव में घूमना, भला किसे रास आयेगा। कहाँ है आदर उन अनजान गाँवों में, घरों में, जैन भिक्षुओं का ? आदर या निरादर के कष्ट एवं पीड़ा के प्रश्न उपेक्षित भी किए जा सकते हैं, उपेक्षित किए भी हैं, पर उनकी कोई उपलब्धि भी तो होनी चाहिए । इतिहास साक्षी है, अब तक इन से क्या कुछ मिला है जैन-धर्म को ? मिला कुछ नहीं । खोया ही है और वह भी साधारण नहीं, असाधारण |
आपने वाहन यात्रा के कारण साधु-समाज का, समाज और देश में जो आदर और श्रद्धा है, उसे खो देने की बात की है। मैं पूछता हूँ साधारण जन- समाज में और देश के अनेक प्रदेशों में आपका यह तथाकथित आदर कहाँ है ? क्या चन्द निमन्त्रित नेता और सम्बन्धित अन्य समाज के लोग आपके मुख पर आपकी प्रशंसा करके चले जाते हैं, यही वह आदर है ? क्या आप अनुभव नहीं करते, यह केवल सामने की मुख-मंगलता है, आज का हृदय से दूर सिर्फ दिखावे का शिष्टाचार है । ये ही लोग पीठ पीछे आपकी मुख वस्त्रिका, केश लोच का, शौचादि क्रियाओं का भद्दा मजाक उड़ाते हैं । परोक्ष में कोई आपका आदर से नाम तक नहीं लेता । गत १५ अगस्त को ही प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी ने, जो आपकी सभाओं में प्राय: आपकी प्रशंसा करती रहती हैं सर्वप्रथम भगवान बुद्ध को याद किया और सीधे गुरु नानकजी आदि की ओर ढल गईं । बीच में भगवान महावीर का नाम तक नहीं लिया गया । राष्ट्रपति भवन में विराजित बुद्ध प्रतिमा की तो गौरव - चर्चा की भारतीय आकाशवाणी ने, किंतु महावीर की कहीं चर्चा नहीं । आपकी यह देश में आदर की बात, महज अपने भोले मन की खुशफहमी है और कुछ नहीं । गाँवों में जैन साधु की क्या स्थिति होती है, आपको पता है ? जो पथ बराबर साधुओं के आनेजाने के हैं, उन्हें छोड़ दीजिए । पथ छोड़कर थोड़ा भी इधर-उधर जनपद में जाइए पता चलेगा, क्या आदर है ? क्या श्रद्धा है ? पचासों वर्षों से मैं सुनता आया हूँ-क्यों भीख माँगने पर कमर
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