Book Title: Chintan ke Zarokhese Part 1
Author(s): Amarmuni
Publisher: Tansukhrai Daga Veerayatan

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Page 277
________________ सत्य कडवा है, पर इस कडवेपन को स्वीकारना ही होगा। मेरी मार्मिक अपील है, अपने परिचित तथा अपरिचित सभी साथियों से कि यश और प्रतिष्ठा के प्रलोभनों के मायाजाल से अपने को साहस के साथ मुक्त करो और जो सत्य तथा हितकर है उसे सार्वजनिक घोषणा के साथ स्वीकार करो। आज नहीं तो कल, तुम्हें अपने उक्त समयोचित परिवर्तनोंसे प्रतिष्ठा मिलेगी ही। यदि प्रतिष्ठा न भी मिले, तब भी तुम्हारा क्या बिगडता है? तुम कोई प्रतिष्ठा पाने के लिए और उसके आधार पर रोटी का जुगाड़ करने के लिए तो साधु नहीं बने हो। -उपाध्याय अमर मुनि Jain moucation International For Pnyate & Personal use only Sawainelibrary.org

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