Book Title: Chintan Haim Sanskrit Bhavya Vakya Sangraha Author(s): Haresh L Kubadiya Publisher: Haresh L KubadiyaPage 64
________________ चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (सती सप्तमी) | ५९|| |११९. अपंगो यात्रा करवा जाय पण गाथा गोखे छे १२०. बाने छीकणी सुंघतां छींक ६. तारामां विवेक होते छते ज्ञान आवे पण वधे छे १२१. कदाच गुरुजी आज्ञा करे पण ७. ते प्रभु भक्ति करते छते कर्म १२२. मने वाक्यो लखतां ऊँघ आवे | तोडे छे पण । ८. तीर्थंकर मोक्षमा जते छते १२३. हुं गिरिराजना पगथियां चढुं| | निगोदनो जीव व्यवहार राशिपण मां आवे छे १२४. सेवक सेवा न पण करे .. ९. ते काउस्सग्ग करते छते |१२५. ते लाम्बा लाम्बा विहार करे | स्थिरता पामे छे पण | १०. सामायिक करते छते समता १२६. ते साहेबर्नु लेशन पुरुं करे| आवे छे पण धर्म ध्यान करते छते जूना १२७. दीक्षा लईने जोग करे पण कर्मो तोडे छे |१२८. गुरु शिष्यने सम्भाले पण १२. |दुःख सहन करते छते नारकर्नु |१२९. नरकना जीवो समता राखे आयुष्य भोगवे छे पण १३. | पुरुषार्थ करते छते सफलताने १३०. वंकचुल ७ (सात) व्यसनमा मेलवे छे मस्त रहे पण | पशुओनो पोकार साम्भलते सती सप्तमी छते नेमनाथ रथ पाछो फेरवे ते देरासर गये छते भावना , | परमात्मानी भक्ति करते छते भावे छे . श्रेणिक राजा तीर्थंकर नाम | २. |तेने मिठाई खाते छते सुगर कर्म बाँधे छे वधे छे १६. परमात्मानी आरती उतारते छते बादल गर्जते छते वरसाद | कुमारपाल राजा पोतानुं नाम आव्यो हतो अमर बनावे छे | ते व्याख्यान सांभलते छते | १७. छमासी तप करते छते .चम्पा जीवनमां उतारतो नथी । श्राविका जैन शासननी शोभा ५. | सोनल सामायिक करते छते | |वधारे छे .Page Navigation
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