Book Title: Chintan Haim Sanskrit Bhavya Vakya Sangraha
Author(s): Haresh L Kubadiya
Publisher: Haresh L Kubadiya

Previous | Next

Page 67
________________ | ९१. ६२] (सती सप्तमी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह पशुओ भागे छ माली फुल लावते छते पूजारी मदारी वांसली वगाडते छते फुल चढावे छे सर्प नृत्य करे छे लक्ष्मण मुच्छित थये छते नीतु थाकते छते बेसे छे । हनुमान औषधि लावे छे ७७. चीकु चोरी करते छते रीकु | ९३. लक्ष्मण नरकमां दुःख भोग| जुवे छे वते छते सीता सान्त्वना आपे बेन रडते छते भाई विदाय| आपे छे | ९४. वृक्षमांथी फल पडते. 'छते पुण्य होते छते करोडपति बने वांदराओ खाय छे ९५. मार खाते छते बिलाडी दूध बेन विदाय लेते छते भाई पीवे छे समजावे छे स्वीटी स्कूल जाते छते रडे छ | वैयावच्च करते छते भाव | ९७. | जीव यात्रा करते छते थाके छ | जागे छे ९८: हनुमान पत्थर लावते छते ते ते आर्तध्यान करते छते कर्म | पुल बाँधे छे | उपार्जन करे छे ९९. सीता हरणनी माँग करते छते ते पुण्य भोगवते छते देव- | राम दोडे छे लोकनो भवपूर्ण करे छे १००. मुनि लोच करते छते कर्म | | रोहित पुरुषार्थ करते छते पाछळ खपावे छे पडे छे |१०१. तमे आवते छते दरवाजो बन्ध घडो फुटते छते पाणी ढोळाय| करो . | १०२. ठण्डी पडते छते सरदी थाय छे भूख लागते छते नीरु रडे छे | १०३. विहार करते छते तेओना पग ऊँघ आवते छते हुं सुq छु । छोलाय छे | राजुल विलाप करते छते नेम- | १०४. सुलसाना ३२ पुत्रो मरण नाथ पाछा जाय छे । | पामते छते ते शोक करती संसारी संसारना सुख भोगवते | नथी छते वैरागी बने छे १०५. हुं वाक्यो वांचते छते आनन्द वैरागी संसारमा रहेते छते कर्म| | पामुं छु खपावे छे | १०६. सुनीता स्नात्र करते छते नाचे

Loading...

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134