Book Title: Chintan Haim Sanskrit Bhavya Vakya Sangraha
Author(s): Haresh L Kubadiya
Publisher: Haresh L Kubadiya
________________
५९.
देवलोकनो ऐरावत दोडे छे
६०.
रामनी प्रजा सुखी छे
१०० ( गौण नाम षष्ठी ) ३३. | दाण्डानो रंग कालो छे ३४. रावणनो भाई बिभिषण छे ३५. गांधारीनो भाई शकुनी छे ३६. कलावतीनो हार छे ३७. काकानो जमाई डॉक्टर छे ३८. कारनो रंग लाल छे ३९. | राजानो महेल मनोहर छे ४०. राजानो पुत्र युवराज छे ४१. खेतरनो मालिक खेडुत छे ४२. आचार्यना शिष्यो गम्भीर छे ४३. गुरुजीनो स्वभाव सरल छे ४४. देरासरनो कलश सुन्दर छे ४५. | देरासरनो दरवाजो सुखडनो छे ४६. देरासरनो पाटलो छे ४७. देरासरनो पूजारी श्याम छे ४८. देरासरनो भण्डार सुवर्णनो छे ४९. सोनानो वृषभ छे ५०. देवलोकनो देव आवे छे ५१. | देवलोकनो इन्द्र नमे छे ५२. | देवलोकनो आ किल्बिषिक देव छे
६१. मन्दोदरीनी कला सुन्दर हती ६२. रावणनी बहेन सुर्पणखा छे ६३. | प्रभुनी भक्ति समकित आपे छे ६४. | नेमनी साथे ( सार्धं ) ६५.
राजुलनी प्रति अजोङ छे वेल्लूरनी होस्पिटल मोटी छे ६६. आत्मानी शक्ति अनन्त छे ६७. | पुष्पनी माला भगवान्ना कण्ठमा छे
शालिभद्रे पत्थरनी शीला पर असण
६९. गुरुजीनी आज्ञा मारुं जीवन छे ७०. | धर्मशालानी सफाई सारी छे ७१. धर्मशालानी रसोई स्वादिष्ट छे ७२. | धर्मशालानी बेन भक्तिवान् छे ७३. धर्मशालानी साध्वीयो विनयवान् छे ५३. | देवलोकनो सुघोषा घण्ट वगडे ७४. धर्मशालानी संस्था व्यवस्थित छे ५४. देवलोकनो आनन्द चैत्र ७५. अनुभवे छे
७६.
५५. देवलोकनो शयन खण्ड सुशोभित छे
५६. देवलोकनो महल रत्ननो छे ५७. | देवलोकनो देव भगवान्नी पूजा करे छे.
चिन्तन हैम संस्कृत - भव्य वाक्य संग्रह
५८. देवलोकनो इन्द्र भगवान्नो जन्माभिषेक करे छे
६८.
होवी जोईए
धर्मशालानी हॉस्पिटल बने छे धर्मशालानी निन्दा न करवी
जोई
७७. | धर्मशालानी गोचरी लावुं ? ७८. धर्मशालानी जग्या विशाल
७९.
होवी जोईए धर्मशालानी खबर लेवा
Page Navigation
1 ... 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134