Book Title: Chintan Haim Sanskrit Bhavya Vakya Sangraha
Author(s): Haresh L Kubadiya
Publisher: Haresh L Kubadiya

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Page 88
________________ | १३. चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (कारण कार्य) | ८३| कारण कार्य जल्दी मेलवीश | जमना ! जो तुं पान पराग जो पुण्यनो उदय जागशे तो | खाईश तो केन्सरनो रोग थशे चन्दनानो अभिग्रह पूर्ण थशे | १४. | वज्रकुमार ! जो तुं बहु रडीश २. | जो स्वयंवरमां ते धनुष | तो साधुने वहोरावी दईश | उपाडशे तो प्रभञ्जनाने वरशे | १५. मनीष ! जो तं आयंबिल ३. जो वीणानो तार तुटशे तो करीश तो रसनेन्द्रियने जितीश मन्दोदरी, नृत्य अटकशे १६. | ललीता ! जो तुं श्रीपालनी ४. | जो पद्मा ! तुं सात कोडीमां | दीक्षामां जईश तो (तने ) | राज्य मेलवीश तो तने हुँ | प्रभावना मलशे बोलावीश | १७. | जीनल ! जो तुं पू....सूरि | करुणा ! ‘जो तुं छ8 करीने| म.सा.ना व्याख्यानमां जईश | यात्रा करीश तो त्रीजे भवे तो (तुं) तत्त्वनुं ज्ञान प्रायः मोक्षे जईश | मेलवीश ६. चक्रवर्ती ! जो तुं राज्य १८. | प्रदीप जो तुं कन्दमूल खाईश छोडीश तो स्वर्गे जईश तो नरकमां जईश मुनिवर ! जो तमे शुद्ध १९. पू. श्री....म. सा. ! जो तमे | | भावनाथी काजो काढशो तो | नव्वाणु करशो तो लाडवानी | मुक्तिमां जशो बाधा छुटशे ८. | मदारी जो तुं वांसली वगाडीश २०..| मोहन ! जो तुं करुण गीत | तो साप बहार आवशे । | गाईश तो पब्लिक रडशे | राधा ! जा तु शुभ भावनाथा| २१. | गायत्री जो तुं महेनत करीश | नवकार मन्त्रनुं स्मरण करीश तो टी. वी. ने छोडीश तो विनोथी पार उतरीश २२. बदामी ! जो मयूरी तारा | राणी ! जो तारी पीडा राजा लाम्बा बाल जोशे तो नजर जोशो तो मुच्छित थशे । पडशे | सुरज ! जो तुं डॉ. बनीश तो २३. निशा जो तुं कॉलेज जईश तो | पापना काम करवा पडशे । | मासी म. सा. वढशे १२. | श्रेणिक ! जो तुं पुरुषार्थ २४. | अनीता ! जो तुं संसारथी करीश तो रत्न त्रयी-चारित्र | विरक्त रहीश तो संयम लईश

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