Book Title: Chintan Haim Sanskrit Bhavya Vakya Sangraha
Author(s): Haresh L Kubadiya
Publisher: Haresh L Kubadiya
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१९.
| चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(द्वन्द्व) | ९७ द्वन्द्व
१५. | दिवस अने रात दिनश्च रात्रिश्च
दिन-रात्री | मित्र अने शत्रु मित्रञ्च शत्रुश्च १६. विनय अने विद्या विनश्च = मित्र-शत्रू
| विद्या च विनय-विद्ये २. | हाथ अने पग (समाहार) १० | क्षमा अने दया क्षमा च दया | हस्तश्च पादश्च = हस्त-पादम
च क्षमा - दये | श्रमण अने श्रावक श्रमणश्च
१८. | पुण्य अने पाप पापञ्च श्रावकश्च = श्रमण-श्रावको |
पुण्यञ्च पाप-पुण्ये | स्वजन अने ज्ञान ज्ञातिश्च
| पाणी अने दूध जलञ्च दुग्धञ्च | ज्ञानञ्च = ज्ञाति-ज्ञाने .
| जल-दुग्धे बहन अने भाई स्वसाच . २०.
| गरीब अने धनवान् दरिद्रश्च बन्धुश्च = बन्धू (ए.शेष.) |
| धनवांश्च दरिद्र-धनवन्तौ E. | शिशिर ऋतु अने शरद् ऋतु] २१. | स्त्री अने पुरुष स्त्री च पुरुषश्च
शिशिरश्च शरच्च शिशिर-शरदौ| स्त्री-पुरुषौ । | बिजली अने वरसाद विद्युच्च २२. कीडी अने माखी (समाहार) वारिदश्च विद्युद्वारिदौ
| पिपीलिका च मक्षिका च | माता अने पिता माता च पिता
एतयोः समाहारः पिपीलिकाच मातरौ / पितरौं
मक्षिकम् । | पल्लं अने छेल्लु आद्यश्च| २३. | सूर्य अने चन्द्र सूर्यश्च चन्द्रश्च | अन्तिमश्च आद्यान्तिमौ
सूर्य-चन्द्रौ सोनुं अने तांबु काञ्चनञ्च २४. काचबो अने मोर कर्मश्च ताम्रञ्च काञ्चन ताने
मयूरश्च कूर्म-मयूरौ | दौलत अने कीर्ति वैभवश्च २५. | घोडो अने गधेडो रासभश्च कीर्तिश्च वैभव-कीर्ती
| अश्वश्च रसभाश्वौ अग्नि अने पवन वह्निश्च २६. | रम्भा अने उर्वशी उर्वशी च वातश्च वह्नि-वातौ
रम्भा च उर्वशी-रम्भे वैभव अने विपत्ति विभूतिश्च २७. नेम अने राजुला नेश्च राजुला विपच्च विभूति-विपदौ ।
च नेम-राजुले हंसा अने कान्ता हंसा च २८. | ओघो अने मुहपत्ति रजोहरणञ्च कान्ता च हंसा-कान्ते
मुखवस्त्रिका च रजोहरण
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