Book Title: Chintan Haim Sanskrit Bhavya Vakya Sangraha Author(s): Haresh L Kubadiya Publisher: Haresh L KubadiyaPage 83
________________ ७१. || ७८ | (वर्तमान-कृदन्त) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह ५२. वरघोडामां गाती नारी शोभे छ | अकबर थाकतो नथी ५३. वरघोडामां आगळ चालती अष्ट | ६८. | पारेवाने अभयदान आपता मङ्गलनी झाँकिया अद्भूत छे मेघरथ राजा सोलमां तीर्थंकर ५४. रेसमां आगळ दोडतो सफेद | | बने छ घोडो पहेलो नम्बर लावे छे । ६९. | बालक दोडतो दोडतो माँनी ५५. वल्ड दौडमां प्रथम आवती | पासे आवे छे पी.टी. ऊषानुं सन्मान थाय छे | ७०. नोट गणतो रूपेश भूली जाय आकाशे उडतुं विमान अटके गिरिराज चढतो वसु शुभ ५७. | पैराशूटथी नीचे उतरतो पाय- भावना भावे छे लोट गभराय छे ७२. आदीश्वर दादाने भजतो ते ५८. गुरुदेवना स्नेह-आशीषने ध्यान मग्न बने छे. | पामती शिष्या हर्ष अनुभवे छे ७३. | जमाईने जमतो जोईने ससरो| ५९. रामनु स्मरण करती सीता | | मीठाई लावे छे अटन करे छे | आचार्य भगवन्त झगडत ६०. कृष्णने भजती मीरा एमां| बालकने प्रतिबोध करे छे खोवाई जाय छे ७५. | अनाथ नाना रखडता ६१. शिक्षणना आधारे आगल | बालकने जोईने हेमाने दया वधता विद्यार्थिओ गौरव पामे | आवे छे | वातो करता माणसो थाकता ६२. सीता- हरण करतो रावण कपट करे छे गोचरी जता साधुने जोईने ६३. मधुर कण्ठे स्तवन बोलतां पू. | इलाचीने केवल ज्ञान थाय छे . ....म.सा. डोले छे १४ स्वप्ना जोती माता आनन्द ६४. देरासर खोलतो पूजारी नवकार पामे छे गणे छे विहार करता मुनि अनेक कष्ट अष्ट प्रकारी पूजा करतो सहन करे छे श्रावक भावना भावे छे । ८०. भयंकर सर्पने जोता बालको ६६. कायोत्सर्गमां मुनि स्थिर रहे छे डरता नथी ६७. बीरबलनु सन्मान करतो ८१. सुन्दर आंगी जोतो सूरज नथीPage Navigation
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