Book Title: Chaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Author(s): Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publisher: Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh

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Page 6
________________ प्रस्तावना. पासे मोकल्यो, तेमा खोटयो हती तेथी आत्मारामजीए जवाब न आप्यो पण राजेंसूरिनुं कहेवू साचुं होयतो सना करवानो अमे बंदोबस्त करीशं; आ खबर थमने आठ दिवसमां बापवी; एवी खोटी बीना बपावी बाहार पाड्याथी श्री पांजरापोले शेठजी श्रीजयसिंहनाइ हहि. सिंहजीनी धर्मशालाना बेसनार श्रावकोए जेवी रीते बीना बनी हती तेवी रीते न्यायदर्शक बापाद्वारे पूर्वे नव्या प्रमाणे प्रसिह करी पाव्यु के धनविजयजीए जेवी रीते आत्मारामजीना सवालोना जवाब आप्या तेवीज ते राजेंइसरिजीए जे सवालो मोकल्या ते पोते ले हस्व दीर्घ प्रादि नूलो हती तो सुधारी नून काढी जवाब लरवी पाडा आपवा हृता पण कांइतेवी मुद्दानी जून न बतां खरा जवाब खुल्ला आपे अने बाहार पडे तो पोतानुं ज्ञान जगाइ आवे, अगर ते जवाब लखवानी शक्तिनथी ए विना बीजी खोट मुद्दानी प्रात्मारामजीने जासन थइ ते अमारा जाएयामां नथी, केमके जो बीजी खोट ते प्रश्नोमां नासन था होततो प्रथम न्यायदर्शकमां ते प्रश्न खलं बोलनारे उपावी प्रसिक्ष करयां हतां त्यारे ते नूलो लवीने तेना खुलासा लखवा जोइता हता, पण ते लख्या सिवाय मनकल्पित रीते साडे रस्ते जे विचार बताव्या डे, ते विद्वानोनुलदण न कहेवाय, ते

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