Book Title: Chaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Author(s): Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publisher: Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh

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Page 12
________________ प्रस्तावना. सिह करयो बे. तेनी नकल आत्मारामजीए पोताना करेला ग्रंथनी प्रस्तावनामां लखी ने तेथी अमो इहां लखता नथी पण ते नक्कल वांचतांज *राजेंसरि ध नविजयजी यह दोनु नगरशेतके वमेमें आकर शेत जीकों कह गये के हम सना नहीं करेंगे* इत्यादि रा. धनपुरना श्रावक निश्रित आत्मारामजीनुं लखवू अपक्षपाति जनोने असत्य नासन अने अमारी उपर ल खेली ए कागल संबंधी बिना सत्य नासन थया विना रहशे नही, केमके ए कागलमां एम लख्युंडे के अत्रे सना थइ नथी, तो हारवा जीतवानी वात बिलकुल खोटी. एम लव्युं, पण श्री राजेंड्सूरिजी धनविजय जी सना करवानी ना कही गया एवं लख्युं नथी, जो तेनए ना कही होत तो त्यांना शेठिया कागलमां लख्या विना रहेत नही; पण ना कह्या विना जूठ लखवानो महा प्रायश्चित्त जाणी जोइने तो आत्मारामजी जेवा पुन्यनिरु विना कोइपण लखे नही, तेथी सना प्रमुख ना करवानी बिना जूठी लखी, तेमज पृष्ट ५ माथी ते पृष्ट १५ मा सुधी राधनपुर संबंधि तथा गुरु संबंधी पण जेटली बिना लखीजे ते पण प्राये जूठीज हशे, पण ते बाबतनी यथार्थ आपणने मालम नथी माटे महाराज साहेबजीने पूज्यं मालम पडे, एम विचारीने संवत

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