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प्रस्तावना.
१९४५ नी सालमा श्री विजय राजेंSसूरिजीए श्री गुर्जरदेशमां श्री विरमगाम शेहेरमां चोमासुं करयुं हतुं, त्यां श्री पर्युषण पर्व वीत्या पढी मे श्री मालवा, मारवाड, प्रमुख देशना श्रावको वांदवा जेना थया त्यारे मोए महाराज साहेबने पुब्धुं के श्रात्मारामजी श्रानंदविजयजी चतुर्थस्तुनिनिर्णय प्रस्तावना पृष्ट ५ माथी ते पृष्ट 9 सातमा सुधी बिना लखेबे, ते सत्य वे ? के सत्य बे ? अने ते बिना केवी रीते बनी ते
मने यथार्थपणे मालम पडवी जोइए, त्यारे महाराज साहेबे करूं के संवत् १९४३ नी सालमां श्री थरादथी प्रमो राधनपुर गया, त्यारे श्री तपगन्छ खरतरग
नापक्षपाती श्रावक धरणा कालथी त्रण थुइ करता प्रावेला, तथा श्री प्रागमिक गन्ना श्रावक, धनजी साजीनी तरफना, तथा श्री पायचंद गहना श्रवकोए त्रण तथा व्यार थुइ बाबतनी वार्त्ता चलावीने कर्तुं के प्रापना शिष्य श्री धनविजयजी यावेला त्यारे इहांनो वासी नामे गोडदास पण धर्मतग धर्मोपजीवी गुणेकरी रोडीदास नामनो श्रावक श्री धनविजयजी साधे चरचा करतां मूंगे पड्यो, ते दहाडाथी प्रापना ऊपर तथा आापनी पासे बेसनार श्रावकोना ऊपर द्वेष मत्सरनाव धरतो ने अज्ञातपणाना दोषथी बहु निंद्यामां वर्त्तीने कर्म