Book Title: Chaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Author(s): Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publisher: Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh

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Page 11
________________ १४ प्रस्तावना. संबंधी सर्व हकीकत कही, ते सांजलीने राजेंड्सूरिजीए कह्युं के मोतोमारा साधुनने पण कागलपत्र - हस्थिने हाथे लखंवां, लखाववा, तथा मोकलवा, मोकलावामां दोष गणिए बीए, तो ग्रहस्थिने कागलपत्र लखवा, लखाववा, मोकलवानो तो मारो व्यवहारज नथी, तो एवा रागद्वेपना कागल लखवा लखाववानो मो महा प्रायश्चित्त गणिए बीए, तेथी ए वातमां मो कश्युं जाणता नथी; एवी रतिना यथार्थ वचन श्रवण करी नगरशेठजीना हृदयरूप सरोवरमांधी यात्मारामजीनो फसावेलो नम रूप मल वेगलो थवाथी केटलाक संघना लोकोना मनमां निश्चय थयुं जे, जेम श्रात्मारामजी पोताना चेखाउने तथा ग्रहस्थोने का गलपत्र लखी लखावी डाकमां नांखेढे, तथा ग्रहस्थाने हाथे पोहोचाडे बे, तेवी रीतनो व्यवहार राजेंप्रसूरिजीनो तथा राजेंड्सूरिजीना साधुननो जाएयो नथी, तेम सांजल्यो पण नथी, तेथी ए बधुं तरकट आत्मारामजीनी तरफना श्रावकोनुं तथा साधुनंनुं जणाय बे, पण राजेंपसूरिजीना श्रावक तथा साधुननी तरफनुं जलातुं नथी; तोपणापणा शेहेरमा रहेला कोइ साधुने दिल गीरी होवी न जोइए, तेथी आत्मारामजीनी दिलगीरी मटाडवा नगरशेठे सनाचतुराइथी कागल उपावी प्र

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