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प्रस्तावना. चले आये पीछे तिनाने बाइक दिदा देके सहरमे चले गये,*ए वाक्योथी स्पष्ट मालम पडे के जो मेहेलावाला रत्नविजयजी तथा सवारनी पोलवाला मणिविजयजी परिग्रहनो संचय नहोता राखता तो साधुनक्तिकृत अयपूजाने बुटेरायजी प्रमुख निषेध करत नही, पण मणिविजयजी तथा रत्नविजयजी संचय करता हता, तेथी निषेध करी उठीने चालता थया एथी ए पण सूचना था के श्री बुटेरायजी मणिविजयजीने संयमीगुरुजाणीने नपसंपद ग्रहण करी होत तो पोताना गुरुनी एवडी मोटी अाशातना करत नही, एथी ए निश्चय थयं के श्री बुटेरायजीए तो मणिविजयजीने संयमीगुरु धारया नही, केमके मणिविजयजी प्रमुख तो स्वतमानोपेत श्री वीरप्रनुनो स्वेतांबर जैननिंग बोडीने पीतांबर अर्थात् पीला कपडा धारण करता हता, अने श्री बुटेरायजीनो मत तो श्री यशोविजयजी उपाध्यायजीथी मलतो हतो अने श्री यशोविजयजी नपाध्यायजीए तो श्री दशमत्ताधिकार तवनमां तथा कुमती कपटस्वाध्यायमां तथा नपाध्यायजीनी परंपरामांथएला श्री उदयविजयजी वाचक प्रमुख श्री हितशिक्षाषट्त्रिंशकामां तथा श्री गडाचार विचारबोल पत्रक ग्रंथमा पीला कपडा धारण करनारने कुलिंगी निन्नव असंयती कह्या बे; ते ग्रंथना पाठ ग्रंथ