Book Title: Chaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Author(s): Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publisher: Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh

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Page 5
________________ प्रस्तावना. प्रश्न पाठां पांजरापोले बारोबार मोकल्यां, पण जवाब थाप्यो नही, मचकुर ते प्रश्न धनविजयजीए नहीं लेतां कह्यु के ज्यांथी लाव्या हो त्यां लेजान, सिपाश्नेश्ने शेठ पासे गयो, शेते पानां राजेंसूरिजी पासे बाहारनी वाडीये मोकली दीधां, त्यारपनी लोकोमा एवो हकवाद चाल्यो के आत्मारामजीना पंमिते आत्मारामजीना तर. फथी प्रश्न पूडयां, तेनो जवाब मुनि धनविजयजीए खु. तासाबंधाप्यो; पण विजयराजेंसूरिजीए जे प्रश्न लखी आत्मारामजीने पूनाव्यां,तेनो जवाब तेमणे न थाप्यो,ते हकवादथी यात्मारामजीए पोतानुं मान ज्रष्ट थतुं जाणी अमदावाद समाचार नापामां चरचापत्र पाव्यु. तेमां नपर कहेली खरेवरी बीना बनेली तेने जूठी करवाने अधाधुंध खोटुं नीचे प्रमाणे आपाव्यु, के राजेंड्सूरिजी अत्रे चोमासु रह्याने ते त्रणथोयो कहेवान कहे जे तेथी केटलाक श्रावको मलीने तेमनो खुलासो लेवाने गया, अने सदरहुं बाबत ते राजेंऽसूरिने पुड्युं के तमी थोय बाबत सूत्रपंचागीने अनुसारे मुनी आत्मारामजी. नी साथे सनामां बेशी चरचा करो, त्यारे तेनुए कह्यु के अमारे सनामां बेसीने चरचा करवी नथी: वली थोडी मुदत उपर ते राजेंड्सूरिए मनकल्पित प्रश्न सखी ते प्रश्ननो कागल मुनि विवेकसागरजी साथे आत्मारामजी

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