Book Title: Chaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Author(s): Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publisher: Marudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh

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Page 3
________________ प्रस्तावना. जे अवलरे मल्या ते अवसरे बीजी देशावर संबंधी प्राडतरिखे वार्ता चलावी; पण शास्त्र संबंधी तथा थुझ्यो संबंधी वार्ता चलावी नही, अने हमणां थोडा दिवस मध्ये अमदावादना रहेवासी गोकल नमेद,नागजी, धने बीजा बेत्रण वाणिया साथे प्रात्मारामजीनो पंमित अमीचंद, या माणसो पांजरापोलनी शेठ जयसिंहना. ईनी धर्मशालामां राजेंइसरिना शिष्य धनविजयजीनी पासे जईने नीचे प्रमाणे अमीचंद पंमिते प्रश्न पुग्यो, अने कह्यु के प्रा प्रश्न यात्मारामजीना हुकमी पुर्ववं. १ चतुर्थस्तुति नवीनहे के प्राचीनहे? अरु कारण वास्ते हे के विना कारणे हे? ॥२ वेत्रावञ्चगराणं इत्यादि पाठ नवीन हे के प्राचीनहे? अस कारण वास्ते हे के विना कारण हे ? ॥ __उपरना प्रश्नोनो उत्तर बाप्यो. ते नीचे मुजब ॥१॥ नवीनहे, कारण वास्तेहे.॥शा नवीनहे, कारणवास्तेहे.॥ । उपरना प्रश्नोनो नपर मुजब जवाब प्रापी राजेंड सरिजीए आत्मारामजीने पूबवा माटे पांच प्रश्न लख्यां, त्यारे पानाचंद हकमचंदे कयु के आ प्रश्न नीचे तमारी सहि करो, त्यारे राजेंसूरिए कह्यु के आत्मारामजी सहि करे तो हुं करीश. पडी पानाचंदे कह्यु के अमे प्रात्मारामजीनी सहि करावी अापीशं, पडी राजेंड्स.

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