Book Title: Charitra Puja athva Bramhacharya Vrat Puja
Author(s): Vijayvallabhsuri
Publisher: Bhogilal Tarachand Zaveri

View full book text
Previous | Next

Page 20
________________ पूजा दर्शन ज्ञानकी, कीनी विन विस्तार । तिम संक्षेपे कीजिये, पूजा चरण विचार ॥५॥ गुणिसे गुण नहि भिन्न है, तिन पूजा गुणवान । गुणि पूजा गुण देत है, पूर्ण गुणी भगवान ॥ ६ ॥ पूजा पूजा जानिये, अष्ट द्रव्य विस्तार । यथाशक्ति पूजा करे, भावे भवि नरनार ॥ ७॥ सारंग-कहरवा। (हमे दम देके सोतन घर जाना । यह चाल) चारित्र आतम शिव सुख दाना । अं० । जिन शासनमें सार चरण है। पांच भेद तस मूल वखाना ॥ चारित्र० ॥१॥ सामायिक छेदोपस्थापनी । परिहार विशुद्धि जिन फरमाना ॥ चारित्र० ॥२॥ चौथा सूक्ष्म संपराय कहिये । यथाख्यात जस फल निरवाना ॥ चारित्र० ॥३॥ मुख्य भेद सामायिक सबमें । विन सामायिक चरण न माना ॥ चारित्र०॥४॥ समकित श्रुत अरु देश विरति है। सर्व विरति सामायिक गाना ॥ चारित्र०॥५॥ समकित दर्शन ज्ञान कहा श्रुत । देश विरत श्रावक व्रत माना ॥ चारित्र० ॥६॥ आतम लक्ष्मी हर्ष अनुपम । वल्लभ सर्व विरति फल पाना ॥ चारित्र० ॥७॥ १ चरण-चारित्र । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50