Book Title: Chanakya Sutrani
Author(s): Ramavatar Vidyabhaskar
Publisher: Swadhyaya Mandal Pardi

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Page 4
________________ भूमि का आर्य चाणक्यने भारतसन्तानको ज्ञानदान करनेके लिये जिन दिनों भारत में जन्म लिया था, संयोगसे उन्हीं दिनों यूनानके राजसिंहासनको कलंकित करनेवाले विश्वनिन्दित प्रसिद्ध माततायी सिकन्दरने भारतपर आक्रमण किया था । यह आक्रमण भारत के लिये वरदान सिद्ध हुआ । ( 1 ) भार्य चाणक्यने पश्चिमोत्तर भारतकी अश्वकजातिके नेता वीरयुवक चन्द्रगुप्तको कुख्यात भीषण सिकन्दर के विरुद्ध समराभियानके लिये प्रेरणा देकर उसकी क्षात्रशक्ति से उसे विताडित कराकर देश से बाहर धकेल दिया था, ( २ ) सिकन्दर के राज्यलोभको उतेजित करनेवाले भारतीय देशद्रोहियों को नामशेष बना डाला था, (३) विलासव्यसनासक्त राजाओंके भोगक्षेत्र बने हुए शतधा खण्डित परस्पर कलहायमान गणराज्योंमें विभक्त भारतको एक सुसंगठित दर्श साम्राज्यका रूप देकर, चन्द्रगुप्त को उसका एकछत्र सम्राट् बनाकर संसार के समक्ष सूर्यके समान तेजस्वी सर्वश्रेष्ठ आदर्श राजचरित्रका जीवित उदाहरण उपस्थित किया था ( ४ ) और अन्तमें चन्द्रगुप्तके शासन के सौर्य तथा सौष्ठव के लिये शासनविधानके रूपमें राजनैतिक साहित्यका शिरोमणि कौटलीय अर्थशास्त्र प्रस्तुत करके उससे साहित्य जगत् में अमरता प्राप्त की । मानवका देहधारण तब ही सार्थक होता है या यों कहें कि देहधारणकी यही सार्थकता है कि उसका व्यक्तित्व उसे जन्म देने, मानव के पालने,

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