Book Title: Buddhivilas
Author(s): Padmadhar Pathak
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 46
________________ छंद पद्धरी : बुद्धि-विलास च्यारचौ' दिसि रच्यो उतंग कोट; जोट । वनाय ३, तापरि कगुरनि की वनी तिह तलि चौड़ी पाई श्रौड़ी मनु सरिता दरवाजे ऊचे पौरिया वैठि सिंह चौपरि के कीन्हे विचि वीचि बनाऐ ४ त्याऐ" नहरि * वाजार विचि मैं वंवे गहरे चौकनि मैं कुंड रचे जग पोवत तिनकौं हाटिन कै विचि दीन्हें", ते सूघे वहु वने हवैली सुंदर तिनु लषि मन लगत लाग ॥ १०२ ॥ धनवांन व्यौपारी किक, मिष्ट कूप वाग, परदेस मिलि वागनि Jain Education International साहूकार मैं ६६ । १ च्यारचौं । १०० : १ ऊंचे । १०१ : १ ल्याए । १०२ : १ रसता । २] दीन्हेँ । १०३ : १ बहु देसनि तैं ल्याए अनेक । सुदेसहि जात धनादि २ कंगुरनि । २ वडे । ३ तेंह चली जाय |||| वनें गोष, करत जौष । हैं चौक रस्ता १ चले वहु देस सुदेसनि तैं प्राऐ अनेक' | ते करत विराज प्रति निसकर होय, गोठि करै ३ बनाय | ४ बनाए । वजार, चार ॥१००॥ मांहि, रहि । गंभीर, २ निसँक । नीर ॥ १०१ ॥ रषाय, जाय । कोय ॥१०३॥ मित, नचित । tin accordance with the Hindu tradition of town-planning 1, e. two wide streets run through the city intersecting at right angles. For Private & Personal Use Only [ १५ ‡This canal was brought from नाला श्रमानीशाह in the west of the new city — नाथावतों का इतिहास, हनुमान शर्मा P. 166. www.jainelibrary.org

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