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नवकार सहित (नवकार सी) पौरुषी, पुरिमार्ध (पुरिमड्ढ) एकाशन, एकस्थान (एकलठाणा) आयंबिल, अभक्तार्थ (उपवास), दिवसचरिम, अभिग्रह, और विकृति (नीवी) विगेरे अध्धा पच्चक्खाण के १० भेद हैं ||३||
उग्गए सूरे अ नमो, पोरिसि पच्चक्ख उग्गए सूरे; सूरे उग्गए पुरिमं, अभतद्वं पच्चक्खाईत्ति ॥ ४॥
प्रथम उच्चार विधि उग्गए सूरे नमो अर्थात् उग्गए सूरे नमुक्कार सहियं । दूसरा उच्चार विधि पोरिसि पच्चक्ख उग्गए सूरे अर्थात् पच्चक्खामि उग्गए सूरे (अथवा ) ( उग्गए सूरे पोरिसिअं पच्चक्खामि) ये दूसरा उच्चार विधि पोरिसि व सार्धपोरिसि के लिए भी समझना । सिर्फ तफावत इतना है कि सार्धपोरिसि के लिए साढपोरिसि पद को बोलना तथा तीसरा उच्चार विधि सूरे उग्गए पुरिमं याने सूरे उग्गए पुरिमङ्कं पच्चक्खामि है । ये उच्चार विधि पुरिमड्ड और अवड्ढ के लिए भी समझना । चतुर्थ उच्चार विधि सूरे उग्गए अभतट्टं याने सूरे उग्गए अभत्तट्टं पच्चक्खामि है । ये उपवास के लिए है । गाथामें पच्चक्खाइ ति ये पद पाँचवी गाथा से I संबंधित है ।
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इस प्रकार यहाँ पर ४ प्रकार की उच्चार विधि एक अहोरात्र में जितने अध्धा पच्चक्खाण सूर्योदय से किये जा सकते है। उतने अध्यापच्चक्खाण आश्रयि दर्शाया है ।
श्री पच्चक्खाण भाष्य
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