Book Title: Bhashya Trayam
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 65
________________ श्री आशापूरण पार्श्वनाथ जैन ज्ञानभंडार परिचय | (1) शा. सरेमल जवेरचंदजी बेडावाला परिवार द्वारा स्वद्रव्य से संवत् 2063 में निर्मित... (2) गुरुभगवंतो के अभ्यास के लिये 2500 प्रताकार ग्रंथ व 21000 से ज्यादा पुस्तको के संग्रह मे से 28000 से ज्यादा पुस्तके इस्यु की है... श्रुतरक्षा के लिये 40 हस्तप्रत भंडारो को डिजिटाईजेशन के द्वारा सुरक्षित किया है और उस में संग्रहित 80000 हस्तप्रतो में से 1500 से ज्यादा हस्तप्रतो की झेरोक्ष विद्वान गुरुभगवंतो को संशोधन संपादन के लिये भेजी है... (4) जीर्ण और प्रायः अप्राप्य 222 मुद्रित ग्रंथो को डिजिटाईजेशन करके मर्यादित नकले पुनः प्रकाशित करके ज्ञानभंडारो को समृद्ध बनाया है... (5) अहो ! श्रुतज्ञानम् चातुर्मासिक पत्रिका के 42 अंक श्रुतभक्ति के लिये स्वद्रव्य से प्रकाशित किये है... (6) ई-लायब्रेरी के अंतर्गत 9000 से ज्यादा पुस्तको का डिजिटल संग्रह PDF उपलब्ध है, जिस में से गुरुभगवंतो की जरुरियात के मुताबिक मुद्रित प्रिन्ट नकल भेजते है... (7) हर साल पूज्य साध्वीजी म.सा. के लिये प्राचीन लिपि (लिप्यंतरण) शीखने का आयोजन... (8) बच्चों के लिये अंग्रेजी में सचित्र कथाओं को प्रकाशित करने का आयोजन... (9) अहो ! श्रुतम् ई परिपत्र के द्वारा अद्यावधि अप्रकाशित आठ कृतिओं को प्रकाशित की है... (10) नेशनल बुक फेर में जैन साहित्य की विशिष्ट प्रस्तुति एवं प्रसार । (11) पंचम समिति के विवेकपूर्ण पालन के लिये उचित ज्ञान का प्रसार एवं प्रायोगिक उपाय का आयोजन । (12) चतुर्विध संघ उपयोगी प्रियम् के 50 पुस्तको का डिजिटल प्रिन्ट द्वारा प्रकाशन । भाष्यत्रयम्

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