Book Title: Bhashya Trayam
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 43
________________ किच्चइ के समान जिस निरस द्रव्य पदार्थ को भूखा व्यक्ति उदर मे प्रक्षेपे (खाला है उसे) (इन चारों लक्षणवाला द्रव्य) आहार कहा जाता है । ॥१३॥ असणे मुग्गो-यण-सत्तु-मंडपय-खज्ज-रब्ब-कंदाई पाणे कंजिय जव कयर, कक्कडो-दग सुराइजलं ॥१४॥ मूंग विगेरे (=सभी कठोल) चाँवल विगेरे (=सर्व प्रकार के चावल, गेहूँ विगेरे धान्य) साथु विगेरे (जवार, मूंग विगेरे को सेक कर बनाया हुआ आटा) मांडा विगेरे (पूडे, रोटी, रोटे, बाटी विगेरे) दूध विगेरे (दही, घी विगेरे) खाजे विगेरे (सभी प्रकार के पकवान विगेरे)राब विगेरे (मक्का, गेहूँ, चावल विगेरे की) और कंद विगेरे (सभी प्रकार की वनस्पति के कंद और फलादि की बनाई हुई सब्जी विगेरे) इस प्रकार इन (८) आठ विभाग वाले सभी पदार्थो का समावेश अशन में होता है। और कांजी का पानी (=छास की आछ) जऊ का पानी (=जऊ का धोवण) केर का पानी (केर का धोवण) और ककडी, तरबूज, खडबूजे आदि फलो के अंदर रहा हुआ पानी या उनके धोवण का पानी, तथा मदिरा विगेरे का पेय, ये सभी पान आहार में गिने जाते है । ॥१४॥ खाईमे भत्तोस फलाई साईमे सुंठि जीर अजमाई; महु गुड तंबोलाई, अणहारे मोय निंबाई ॥ १५ ॥ ४२ भाष्यत्रयम्

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