Book Title: Bhashya Trayam
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 51
________________ साथ उबाला हुआ दूध पेया कहलाता है । (४) तंदूल के चूर्ण के साथ उबाला हुआ दूध अवलेहिका कहलाता है । और (५) खट्टे पदार्थो के साथ उबाला हुआ दूध दुग्धाटी कहलाता है । (इस प्रकार पाँच प्रकार से पदार्थों के साथ रांधा हुआ दूध अविगइ = नीवियाते गिने जाते हैं) ये नीवियते उपधान में नीवि के प्रत्याख्यान में कल्पते हैं, अन्य नीवि में (उपधान सिवाय) नहीं कल्पते हैं | ||३२|| निब्भंजण वीसंदण, पक्कोसहितरिय किट्टि पक्क घयं ; दहिए करंब सिहरिणि, सलवण-दहि घोल घोलवडा ॥३३॥ पक्कवान तरलेने के बाद कढाई में बचा हुआ घृत उसे निर्भंजन तथा दहि की तरी और आटा इन दो को मिलाकर बनाइ हुइ कुलेर भी उसे विस्पंदन औषधि (= वनस्पति विशेष) मिलाकर गरम किये हुए घृत की तरी उसे पक्वौषधि तरित घृतको गरम करने पर उस पर आने वाला मेल उसे किट्टि, और आंवले विगेरे औषधि डालकर पकाया हुआ घृत उसे पक्क्त कहा जाता है । ( इस प्रकार घृत के पाँच निवियाते(= पाँच प्रकार का अविकृत घी) निवि में कल्पते हैं । तथा सिझे हुए चाँवल मिश्रित दहि उसे करम्ब दहिका पानी निकालने के बाद शेष मावे को अथवा दही में ५० भाष्यत्रयम्

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