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५-४-४-४-२ और २ भेद इस प्रकार दूध विगेरे छ भक्ष्य विगई के २१ भेद हैं, और मधु विगेरे चार अभक्ष्य विगई के अनुक्रम से ३ - २-३ और ४ कुल १२ भेद हैं । भावार्थ सुगम हैं, विगई के उत्तर भेद इस प्रकार हैं । ॥२९॥ खीर घय दहिअ तिल्लं, गुड (ल) पक्कन्नं छ भक्ख विगईओ; गो-महिसि-उट्टि -अय-एलगाण पण दुद्ध अह चउरो ॥ ३० ॥ घय दहिआ उट्टि विणा, तिल सरिसव अयसिलट्ट तिल्लचऊ; दवगुड पिंडगुडा दो, पक्कन्नं तिल्ल - घय-तलियं ॥ ३१ ॥
दूध, घी दही - तेल - गुड- और पकवान्न ये ६ भक्ष्य विगइ है । दूध ५ प्रकार का है, गाय-भेंस-बकरी-ऊंटडी और भेड का, विगई मे गिना जाता है। तथा चार प्रकार का घी (घृत) तथा दहि ऊंटडी के विना जानना । तथा तिलसरसव- अलसी और कुसुंबी के घास का तेल, ये चार प्रकार का तेल (विगई रुप ) है । द्रवगुड और पिंडगुड दो प्रकार का गुड विगइ रुप है । और तेल व घी में तला हुआ पकवान्न दो प्रकार का विगई रूप है | ||३०|| ||३१|| पयसाडि-खीर-पेया वलेहि दुद्धट्टि दुद्ध विगइगया; दक्ख बहु अप्प तंदुल, तच्चुन्नं- बिलसहिअ दुद्धे ॥३२॥
(१) द्राक्ष सहित उकाला हुआ दूध (प्रायः बासुंदी उसे) पय:शाटी कहा जाता है । (२) अधिक तंदूल के साथ उबाला हुआ दूध खीर कहलाता है । (३) अल्प तंदूल के
श्री पच्चक्खाण भाष्य
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