Book Title: Bhashya Trayam
Author(s): Devendrasuri
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 45
________________ अन्न सह दु नमुक्कारे, अन्न सह पच्छ दिस य साहु सव्व; पोरिसि छ सङ्कपोरिसि, पुरिमड्ढे सत्त समहत्तरा ॥ १८ ॥ , नमुक्कार सहियं के पच्चक्खाण में, अन्नत्थणाभोगेणं और सहसागारेणं ये दो आगार हैं, तथा अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं दिसामोहेणं, साहुवयणएणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, ये ६ आगार पोरिसी व सार्धपोरिसी के प्रत्याख्यान के है । और महत्तरागारेणं सहित ७ आगार पुरिमार्ध के ( तथा अपार्ध अवड्ढ के) प्रत्याख्यान मे होते हैं | ॥१८॥ अन्न सहस्सागारि अ, आउंटण गुरु अ पारि मह सव्व; एग बिआसणि अट्ठ उ, सग इगठाणे अउंट विणा ॥ १९ ॥ = अन्न = अन्नत्थणा भोगेणं, सह सहसागारेणं, सागारी सागारि आगारेणं, आउंटण = आउंटण पसारेणं, गुरु = गुरु अब्भुट्ठाणं, पारि = पारिट्ठावणिया गारेणं, मह = महत्तरा गारेणं, सव्व = सव्व समाहि वत्तिया गारेणं, ये आठ आगार एकासने और बिआसने में होते हैं । और एकलठाण में आउंटण पसारेणं इस आगार के बिना शेष सात आगार होते हैं । ॥ १९ ॥ अन्न सह लेवा गिह, उक्खित्त पडुच्च पारि मह सव्व; विगई निव्विगए नव, पडुच्च विणु अंबिले अट्ठ ॥२०॥ भाष्यत्रयम् = ४४ =

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