Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Aavdan
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 41
________________ ३४ है । यह उसकी गहन चरित्र-निष्ठा का परिणाम है। बारह व्रतों में अनर्थदण्ड को जोड़कर उसने और भी महनीय प्रतिष्ठा का काम किया है। पर्यावरण क सुरक्षित रखने का भी उत्तरदायित्व जैनों ने अच्छी तरह निभाया है। उनकी वैज्ञानिव दृष्टि भी उल्लेखनीय रही है। यह तथ्य जैन साहित्य से परिपुष्ट हो जाता है। इसलिए हम यहां जैनाचार्यों द्वारा लिखित साहित्य का संक्षिप्त विवरण दे हैं। जैन चिन्तकों का यह साहित्यिक योगदान प्रभूत मात्रा में है। Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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