Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Author(s): Ajitprasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal Karyalay

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Page 9
________________ ( २ ) उसके उद्देश्य निम्नलिखित थे ( क ) जैन मात्र में पारस्परिक एकता और सहयोग की वृद्धि करना । ( ख ) जैन जाति में सामाजिक सुधार का प्रचार, जैन सिद्धान्त का ज्ञान तथा धर्माचरण की प्रवृत्ति जागृत करना । (ग) अंग्रेजी शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक ग्रन्थों के अध्ययन व मनन की उत्तेजना | [ष] प्रभावशाली सज्जनों की सहायता से जैन युवकों को व्यापार में लगाना । प्रथम अधिवेशन रायबहादुर सुलतानसिंह, रईस दिल्ली, ऐसोसिएशन के प्रथम अध्यक्ष थे श्रीयुत बाबुलाल वकील मुरादाबाद, सुलतानसिंह वकील मेरठ प्रथम मंत्री थे । श्वेताम्बर और दिगम्बर श्राम्नाय के जैन, सदस्य श्रेणी में थे । प्रकाशित वक्तव्य में स्पष्टतः यह घोषित कर दिया गया था कि जाति या श्राम्नाय का मेदभाव गौण करके जैन मात्र में पारस्परिक सम्बन्ध का प्रचार करना ऐसोसिएशन का उद्देश्य है । सदस्य संख्या शीघ्र ही एक सौ के करीब हो गई थी । दूसरा अधिवेशन ऐसोसियेशन का दूसरा अधिवेशन ३ दिसम्बर १८६६ को मेरठ में रायसाहब फूलचन्दराय एक्जेक्युटिव इंजीनियर के सभापतित्व में हुया । जैन अनाथालय की स्थापना का प्रस्ताव स्थिर किया गया । अनाथालय मेरठ में जल्दी ही खोल दिया गया। इसका श्रेय श्रधिकतर श्रीयुत सुलतानसिंहजी वकील को था । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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