Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Author(s): Ajitprasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal Karyalay
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( ४ ) धर्मनिष्ठ लोग अपना धन मौजूदा प्राचीन मूर्तियों और मन्दिरों
की खोच, जीर्णोद्धार, रचा और सुप्रबन्ध में लगावें। ७२-धार्मिक वात्सल्य, सामाजिक प्रेम और सहयोग की द्धि के लिये अन्तर्घातीय, अन्तर साम्प्रदायिक विवाह और सहयोग की आवश्यकता है।
१९४६ ७४-अगस्त १९४२ के राष्ट्रीय आन्दोलन में मंडला निवासी उदय
चन्दबी, गढ़ाकोटा निवासी सोहनलालबी, तथा अनवान बैन
वीरों और शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि । ७५._महावीर जयन्ती को सार्वजनिक छुट्टी के लिये केन्द्रीय, प्रान्तीय
तथा देशीय रजवाड़ों से अनुरोध । ७६-अखण्ड चैन समाज की महत्वाकांक्षा की प्रतीक एक जैन ध्वजा
का निश्चित रूप स्थिर किया पाय । ७७-सामूहिक विवाह का प्रचार-मण्डल अधिवेशन पर ऐसे विवाहों
का आयोजन । ७८-महामण्डल के अनुशासन में, श्री एम० बी० महाजन वकील
अकोला द्वारा बैन ओवरसीज बोर्ड, एजुकेशन बोर्ड, ईकोनोमिक
पोलिटिकल, वालंटियर बोर्ड की स्थापना । ७६-जहाँ तक बने, पच कल्याणक विम्ब प्रतिष्ठा, गबरथ आदि
बन्द किये जायें, जहाँ कहीं नया मन्दिर बनाया जाय, वहाँ पूर्व प्रतिष्ठित मूति किसी अन्य मन्दिर से लेकर विराजमान की पाय, पूर्व स्थापित मन्दिर के पंचों को नये मन्दिर के लिये
मूर्ति देने में गर्व का अनुभव करना चाहिये । ८०-खेती, गोपालन के उद्योग को अपनाकर शुद्ध खाद्य और अन्य
उपयोगी वस्तु अधिकाधिक उपजाई जावे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com