Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Author(s): Ajitprasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal Karyalay
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८१ - सब फिरके अपने सामाजिक और धार्मिक उत्सव पर एकत्रित होकर, एक ही जगह, मिलकर एक विशाल जैन संघ के रूप में आयोजित करें। मण्डल सब जगह की पञ्चायतों को ऐसे कार्यों में यथाशक्ति सहयोग देता रहेगा ।
८२ - कांग्रेस को देश को एक मात्र प्रतिनिधि संस्था मानता हुआ, जैन जनता से यह मण्डल अनुरोध करता है कि कांग्रेस कार्य में यथाशक्ति पूर्ण सहयोग दे ।
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