Book Title: Bharat Jain Mahamandal ka Sankshipta Itihas 1899 to 1946
Author(s): Ajitprasad
Publisher: Bharat Jain Mahamandal Karyalay
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स्थानीय भाइयों का उत्साह, प्रेम और पारस्परिक भ्रातृ-भाव उल्लेखनीय था। दिगम्बर, श्वेताम्बर, स्थानकवासी, तारण पंथी, जैन, अजैन सब इस महोत्सव में सम्मिलित होकर काम कर रहे थे।
छब्बीसवाँ अधिवेशन चैत सुदी १२ व १३, ता० १३, १४ अप्रैल १९४६ को इटारसी में भारत के सुप्रसिद्ध व्यापारी साहू भैयाँसप्रसादजी के सभापतित्व में २६वाँ अधिवेशन सम्पन्न हुआ। सभापति महोदय का स्वागत इटारसी की समस्त जैन समाज व बाहर से आये हुए प्रतिनिधिवर्ग ने रेलवे प्लेटफार्म पर किया। स्वागताध्यक्ष श्री० दीपचंदजी गोठी ने फूलमाला पहनाई। सभापतिजी को श्री० दीपचंदजी गोठी के सुसज्जित निवास स्थान पर ठहराया गया । दोपहर को २ बजे से ६ बजे तक कार्यकर्ताओं की सभा हुई, जिसमें बाहर से आये हुए सज्जनों का परिचय कराया गया। इस सभा में अनेक विषयों पर खुले मन से परामर्श हुआ। रात को ८ बजे अधिवेशन का कार्य शुरू हुआ।
स्वागत गान के पश्चात् स्वगताध्यक्ष का भाषण हुश्रा। सभापति महोदय ने अपने छपे हुए व्याख्यान में जैन समाज के संगठन और भलाई के लिए अनेक मार्ग सुझायें । प्रधान मन्त्री सेठ चिरंजीलालबी चरवाते ने गत वर्ष का विवरण पढ़ा ।
१५ को सुबह ८ बजे सभापतिजी का जुलूस मोटर में निकाला गया। जगह-जगह पर उत्साहपूर्वक विशेष स्वागत हुश्री । ६ बजे से प्रस्तावों पर विचार विनिमय हुश्रा । ३ बजे अधिवेशन का कार्य शुरू हा। रात को ८ बजे से महावीर जयंती का उत्सव हुमा । स्थानीय
और बाहर से आये हुए विद्वानों के भाषण, कविता और गान हुए । हीरालालजी ने अपनी पुत्री की सगाई उत्साही युवक स्वागत मंत्री शिखरचंद से की। सम्मेलन के सुअवसर पर यह सुप्रथा अनुकरणीय
है। पंडित जितप्रसादजीस ने कन्या को प्राशीर्वाद दिया। प्रधान मंत्री Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com