Book Title: Bhagwad Gita Vivechanatmak Shabdakosh Author(s): Prahlad C Divanji Publisher: Munshiram Manoharlal Publishers Pvt LtdPage 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir read " 253 254 256 " 257 " 257 264 544 " 265 Critical Word-Index to the Bhagavad gita 252... , 366 ,, 2-3 , जघन्यगुणनिर्मितं ......, तस्मिन् ये स्थिताः [जधन्यगुणनिर्मितं......, तस्मिन् ] ये स्थिताः ते. 384, 4 सङ्गामे read समामे 390, निर्धतकल्मषा , निधंतकल्मषाः . 254 390 ,, 16 " येषा , येषां. 255 413, तेजसः राशि ,, (१) तेजसः राशिः. (२) तव समः ,, (२) तव त्वया वा समः। 4332-3 ,, 'क्रिया' शब्दो (२), 'कर्मन् ' शब्दो (३७), ___क्रिया' शब्दो (५), read "क्रिया (५) शब्दो, 'कर्मन्' (३७), शब्दो, 'क्रिया' (५) शब्दो. 453 ,, 4 दुर्मेधा read दुर्मेधाः । 263 527 ,, 1 , 'दुःख' शब्दो (५) ,, 'दुःख' (५) शब्दो 537 ,, ,, सुष्ठनिश्चितम् ,, सुषु निश्चितम्. 264 ,, स्थिति: नैष्कर्म्य ,, स्थितिः नैष्कर्म्यम् . 558 दृष्टव्य] , इष्टव्यः ]. 266 यषां ते पापयोनयः ,, येषां ते पापयोनय 605 ,, 2 सङ्कल्पप्रभावाः ,, सङ्कल्पप्रभवाः . 267 605 ,, 3 स्वभावग्रभवैः , स्वभावप्रभवैः . (२) स्वत्प्रसात् ,, स्वरप्रसादात . --दुप्पापः- , -दुष्प्रापः। 661, 1 (४) भद्भक्तिम् , (४) मद्भाक्तम् . बन्धुषु।-[विग्रहपद्धतिभ्यः read बन्धुष । -(१-३[विग्रहपद्धतिभ्यः. 747 , 1 वेदाध्ययनैर्यज्ञाध्ययनैश्च । read वेदाध्ययनैः (वेदानां पुनः पुनः अध्ययन वेदाध्ययनानि, तैः ), यज्ञाध्ययनैः (यज्ञानां पुनः पुनः अध्ययनानि, तैः) च।. 855. 1 'आत्मन' (१४) read 'आत्मन् ' (१४). , 294 , 1052 , 3 , [विग्रहपद्धतिभ्यःदुः 'राचार ' read [विग्रहपद्धतिभ्यः 'दुराचार'. PART II C. At p. 325 in entry No. 17 ,, 3 , अनेकचित्तविभ्रामा read अनेकचित्तविभ्रान्ताः. At p. 326 , , 1, 2 , विनिवृत्तकामरमा: read विनिवृत्तकामाः PART III A. At p. 350 in entry No. 866 line 1 ,, भज read भज्. 573 267 268 269 271 276 -04 7 " 277 , 284 For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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