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भगवान् महावीर
वान को 'नय' कहते हैं और उस एक अंश के ज्ञान को प्रकाशित करने वाला 'नय वाक्य' कहलाता है। इन प्रमाण वाक्यो और नर वाक्यों को सात विभागों में बांटने ही का नाम सप्त भगी है ।
• यह विपत्र प्रत्यन्त गहन और विस्तृत है। 'सप्त मंगी तरगिणी' नामक जैन तक ग्रन्थ में इस विषय का प्रनि पादन किया गया है, 'सम्मति पकरण' आदि जैन न्यायगान्त्री नेम विपय का बहुन ग्भीरता से विचार किया गया है।