Book Title: Bhagavana Mahavira
Author(s): Chandraraj Bhandari
Publisher: Mahavir Granth Prakashan Bhanpura

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Page 410
________________ भगवान् महावोर 45 ( ६ ) अन्य मतधारी मि० कन्नुलालजी जोधपुर की सम्मति । 1 (७) ४५० ( देखा The Theosophist माह दिसम्बर सन् १९०४ व जनवरी सन् १९०५) जैन धर्म एक ऐसा प्राचीन धर्म है कि जिसकी उत्पत्ति तथा इतिहास का पता लगाना एक बहुत ही दुर्लभ बात है । इत्यादि मि० आवे जे० ए० दवाई मिशनरी की सम्मतिः (Description of the character manners and customs of the people of India and of their institution and ciril) इस नाम की पुस्तक मे जो सन् १८१७ मे लंडन में छपी है अपने बहुत बड़े व्याख्यान में लिखा है कि :- निःसन्देह जैनधर्म ही पृथ्वी पर एक सच्चा धर्म है, और यही मनुष्य मात्र का आदि धर्म है। आदेश्वर को जैनियों मे बहुत प्राचीन और प्रसिद्ध पुरुष जैनियों के २४ तीर्थंकरो में सबसे पहले हुए हैं ऐसा कहा है । COMMONS (८) श्रीयुत वरदाकान्त मुख्योपाध्याय एम० ए० बंगला, श्रीयुत नाथूराम प्रेमी द्वारा अनुवादित हिन्दी लेख से उद्धृत कुछ वाक्य | ( १ ) जैन निरामिष भोजी (मांस त्यागी) क्षत्रियों का धर्म है । * श्रादिश्वर को जैनी लोग ऋषभदेव जी कहते हैं 1

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