Book Title: Bhagavana Mahavira
Author(s): Chandraraj Bhandari
Publisher: Mahavir Granth Prakashan Bhanpura

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Page 412
________________ भगवान् महावीर ४५२ न होने पावे इसके लिये जैनी जितने डरते हैं इतने बौद्ध नहीं डरते । बौद्ध धर्म देशों में मांसाहार अधिकता से जारी है । श्राप खतः हिंसा न करके दूसरे के द्वारा मारे हुए बकरे आदि का मांस खाने में कुछ हर्ज नहीं ऐसे सुभीते का अहिंसा तत्व जो बौद्धों ने निकाला था वह जैनियों को सर्वथा स्वीकार नहीं है। (६) जैनियों की एक समय हिन्दुस्तान में बहुत उन्नतावस्था थी। धर्म, नीति, राजकार्य धुरन्धरता, शास्त्रदान समाजोन्नति आदि बातों में उनका समाज इतर जनों से बहुत आगे था । संसार में अब क्या हो रहा है इस ओर हमारे जैन बन्धु लक्ष देकर चलेंगे तो वह महापद पुनः प्राप्त कर लेने में उन्हें अधिक श्रम नहीं पड़ेगा। (१०) पूर्व खानदेश के कलेक्टर साहिब श्रीयुत ऑटोरोय फिल्ड साहिव ७ दिसम्बर सन् १९१४ को पाचोरा में श्रीयुत बछराजजी रूपचन्दजी की तरफ से एक पाठशाला खोलने के समय आपने अपने व्याख्यान में कहा कि जैन जाति दया के लिये खास प्रसिद्ध है, और दया के लिये हजारों रुपया खर्च करते हैं। जेनी पहले क्षत्री थे, यह उनके चेहरे व नाम से भी भी जाना जाता है। जैनी अधिक शान्तिप्रिय हैं। ' (जैन हितेच्छु पुस्तक १६ अङ्क ११ मे से) . (११) मुहम्मद हाफिज सय्यद बी० ए० एल०टी० थियोसोफिकल हाईस्कूल कानपुर लिखते हैं:-"मैं जैन सिद्धान्त के सूक्ष्म तत्वों से गहरा प्रेम करता हूँ।"

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