Book Title: Bhagavana Mahavira
Author(s): Chandraraj Bhandari
Publisher: Mahavir Granth Prakashan Bhanpura

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Page 420
________________ भगवान् महावीर ४६० हस्त-लिखित पुस्तकों के गाड़ियों वस्ते अव भी सुरक्षित पाये जाते हैं। (४) अकबर इत्यादि मुग़ल बादशाहों से जैन धर्म की कितनी सहायता पहुंची, इसका भी उल्लेख कई में है। (५) जैनों के सैकड़ों प्राचीन लेखो का संग्रह सम्पादन और आलोचना विदेशी और कुछ स्वदेशी विद्वानों के द्वारा हो चुकी है। उनका अगरेजी अनुवाद भी अधिकांश में प्रकाशित हो गया है। (६) इन्डियन ऐन्टीकरी, इपिग्राफिआ इन्डिका सरकारी गैजेटियरों और आर्कियालाजिकल रिपोर्टों तथा अन्य पुस्तकों में जैनों के कितने ही प्राचीन लेख प्रकाशित हो चुके हैं। बूलर, कोसेसकिहें विल्सन, हूल्टश, केलटर और कोलहान आदि विदेशी पुरातत्रज्ञों ने बहुत से लेखों का उद्धार किया है। (७) पेरिस (फ्रांस) के एक फ्रेंच पण्डित गेरिनाट ने अकेले ही १२०७ ई० तक के कोई ८५० लेखो का संग्रह प्रकाशित किया है। तथापि हजारों लेख अभी ऐसे पड़े हुए हैं जो प्रकाशित नहीं हुए। (२४) सौराष्ट्र प्रान्त के भूतपूर्व पोलिटिकल एजेन्ट मि० एच० डब्ल्यू० बर्हन साहिब का मुकाम जेतपुर युरोपियन गेस्ट तरीके पधारना हुआ, आपने जेतपुर विराजमान लींबड़ी सम्प्रदाय के महाराज श्री लबजी स्वामी जेठमलजी स्वामी से भेट की। आपने महाराज श्री के साथ जैन रिलीजियन सम्बन्धी चर्चा पौन घण्टे तक की आखीर में मापने जैन मुनियो के पारमार्थिक जीवन

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