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भावान महावीर और समाजवाद
के सिद्धांत स्वतः सार्थक होते हैं । व्यक्तिगत और सामाजिक जीवनमें संघर्ष और राग-द्वेषादि कषायों :
हमारे व्यक्तिगत जीवन में क्लेषादि भावरुप वृत्तियाँ और विचारधारायें हैं जिनके कारण व्यक्ति के अंगत और सामाजिक जीवन में अशांति और विषमता उत्पन्न होती है। मनुष्य के मनमें रहे हुए ममत्व, ईर्ष्या, क्रोध आदि सब अनिष्टों के मूलमें है। विषयभोग की वासना सारे संघर्षों की जननी है। विषयों के उपभोग के प्रति राग-तृष्णा या मोह व्यक्ति का सर्वनाश कर सकती है। और व्यक्ति पर ही समाज निर्भर है।
__इस तरह समाजिक जीवन में विसंवादिता उत्पन्न करनेवाली चार मूलभूत असद वृत्तियाँ हैं - १. संग्रह (लोभ), २. आवेश (क्रो), ३. गर्व (अभिमान) और ४. माया (छिपाना) । ये चारों अलग अलग रूपमें सामाजिक जीवन में विषमता, संघर्ष एवं अशान्तिके कारण बनते हैं । १. संग्रह के मनोवृत्ति के कारण शोषण, अप्रामाणिकता, स्वार्थपूर्ण व्यवहार, क्रूर व्यवहार, विश्वासघात आदि बढ़ते हैं । २. आवेश की मनोवृत्ति के कारण संघर्ष और युद्ध का जन्म होता है। ३. गर्व - अभिमान से मालिकीकी भावना जागृत होती है और दमन बढ़ता है। इस प्रकार कषायों - असवृत्तिओं के कारण सामाजिक जीवन दूषित होता है । सामाजिक विषमताओं 'को मिटाने के लिये नैतिक सद्गुणों का विकास अनिवार्य है।
सामाजिक जीवन में व्यक्ति का अहंकार भी निजी लेकिन महत्त्व का स्थान रखता है। शासन की इच्छा या आधिपत्य की भावना इसके केन्द्रिय तत्त्व है । इसके कारण सामाजिक जीवन में विषमता उत्पन्न होती है । शासक और शासित अथवा जातिभेद एवं रंगभेद आदि की श्रेष्ठता - निम्नता के मूल में यही कारण है। वर्तमान समय में अति विकसित और समृद्ध राष्टों में जो अपने प्रभावक क्षेत्र बनाने की प्रवृत्ति है - साम्राज्यवृद्धि की वृत्ति है, उसके मूल में भी अपने राष्ट्रीय अहंकी पुष्टि का प्रयत्न है । स्वतंत्रता के अपहार का प्रश्न इसी स्थितिमें होता है। जब व्यक्ति के मनमें आधिपत्य की वृत्ति या शासन की भावना उबुद्ध होती है तो वह दूसरे के अधिकारों का हनन करता है, उसे अपने प्रभाव में रखने का प्रयास करता है । जैन और बौद्ध दोनों दर्शनोंने अहंकार, मान, ममत्व के प्रहाण का उपदेश दिया है, जिसमें सामाजिक परतंत्रताका लोप भी निहित है। .. और अहिंसा का सिद्धांत भी सभी प्राणियों के समान अधिकारों का स्वीकार करता है। अधिकारों का हनन भी एक प्रकार की हिंसा है । अतः अहिंसा का