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रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविध मन्तव्यों की समीक्षा
वादिदेवसूरि ने स्याद्वादरत्नाकर में और रत्नप्रभसूरि ने रत्नाकरावतारिका में धर्मकीर्ति द्वारा पक्ष को अनुमान का आवश्यक अवयव नहीं मानने की अवधारणा की विस्तृत रूप से समीक्षा की है। अग्रिम पृष्ठों में हम रत्नाकरावतारिका में प्रस्तुत धर्मकीर्ति के पक्ष को और रत्नप्रभसूरि द्वारा उसके खंडन को विस्तार से प्रस्तुत करेंगे ।
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