Book Title: Avashyak Sutram Part 04
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
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________________ श्रीआवश्यक नियुक्तिभाष्यश्रीहारि० वृत्तियुतम् भाग-४ // 5 // आवश्यकनिर्युक्तर्विषयानुक्रमः क्रमः विषयः सूत्रम् भाष्यः नियुक्तिः पृष्ठः ताराद्धपदानामर्थः। - - 1593 1504 6.33 आश्रवद्वारपिधानादि मोक्षान्तं फलम् / - 1594-1596 1505 6.34 प्रत्याख्याने आकाराः।- - 1597-1601 1506 6.35 पौरुषीप्रत्याख्यानम् / 58(59) - 1506 8 6.36 एकाशनप्रत्याख्यानम् (विकृतौ अभिग्रहे च भेदाः)। 59(60) - - 1508 6.37 विकृतौ अष्टनवाकार स्थानम्। - - 1602 1510 6.38 निर्विकृतिकप्रत्याख्यानम् / 60(61) / 1510 6.39 आचामाम्लभेदाः कुडङ्गपञ्चक च। __- - 1603-1605 1511 6.40 विकृतिकनिर्विकृतिकविचारः। - - 1606-1609 1515 6.41 पारिष्ठापनिकाविचारः। 1610 1517 क्रमः विषयः सूत्रम् भाष्यः नियुक्तिः पृष्ठः 6.42 पारिष्ठापनिकाविधिः।- - 1611-1612 1519 6.43 ज्ञेतरयोश्चतुर्भङ्गी, प्रत्याख्यातृप्रत्याख्यायकस्वरूपम्। - - 1613-1616 1520 6.44 द्रव्येऽशनादि भावेऽज्ञानादि प्रत्याख्येयम्। - 1617 1522 6.45 उपस्थितविनीताव्या क्षिप्तोपयुक्ताः पर्षदः। - - 1618 1523 6.46 आज्ञयाऽऽज्ञाग्राह्यो दृष्टान्तादितरो वाच्यः / 1524 6.47 प्रत्याख्यानस्य फले धम्मिल्लदामन्त्रको दृष्टान्तौ। 1620 1525 6.48 प्रत्याख्यानान्मोक्षः। - 1621 1527 6.49 ज्ञानक्रियानये स्थितपक्षश्च, चरणगुणस्थितः साधुरिति / - - 1622-1623 1527 // इति श्रीआवश्यकनिर्युक्तेर्चतुर्थविभागस्य विषयानुक्रमः॥

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