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प्रवचन १
| संकलिका
• सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमक्खायं-इहमेगेसि णो सण्णा
भवइ, तंजहा-............ • से आयावाई, लोगावाई, कम्मावाई किरयावाई।
[आयारो १/१-५] • अकरिस्सं चहं, कारवेसु चहं, करओ यावि समणुण्णे भविस्सामि ।
[आयारो १/६] ० अध्यात्म-चैतन्यानुभूति प्रधान साधना ० धर्म--संयम प्रधान साधना • आचार-अध्यात्म और धर्म की क्रियान्विति ० नैतिकता-धर्म की समाजाभिमुखी साधना ० स्वनिष्ठ होता है आचार • धर्म, आचार और नैतिकता ० नैतिकता का आधार ० आचार-शास्त्रः सुकरात और महावीर ० आचार : पांच प्रकार • नीतिशास्त्र का उद्देश्य-आत्मा की उपलब्धि । ० स्वतः साध्य है आत्मा • परमशुभ साधन नहीं, साध्य है ० आचार है शस्त्र न बनना ० अनाचार का मूल हेतु • बन्ध और मोक्ष का हेतु
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