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सोलह
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२८. ब्रह्मचर्य के प्रयोग २६. वह तू ही है ३०. जहां स्वर मौन हो जाते हैं ३१. असार संसार में सार क्या है ? ३२. कछुआ फिर आकाश नहीं देख सका ३३. अणाए मामगं धम्म ३४. लघुता से प्रभुता मिले ३५. जब निष्क्रमण अपना अर्थ खो देता है ३६. अवधूत दर्शन ३७. साधना कब और कहां ? ३८. तब मौन हो जाएं ३६. आचारांग का समग्र अनुशीलन
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