Book Title: Astittva aur Ahimsa
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 15
________________ तेरह अस्तित्व की दिशा में प्रस्थान का अर्थ है-अहिंसा का विकास, आत्मतुला का विकास, समता का विकास । ० यही ध्येय है, यही श्रेय है। ० इस ध्येय और श्रेय का बोध देने वाला ग्रन्थ है अस्तित्व और अहिंसा, जिसकी संपूर्ति में आशीर्वाद है आचार्य श्री तुलसी का, जिसकी प्रस्तुति में सहकार है मुनिश्री दुलहराजजी का, जिसके संकलन का दायित्व निभाया है प्रज्ञापर्व समारोह समिति/अमृत वाणी प्रतिष्ठान ने, जिसे जन-जन तक पहुंचाने में माध्यम बन रही है जैन विश्व भारती । मुनि धनंजयकुमार ७ अक्टूबर, १९६० महावीर नगर, पाली (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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