Book Title: Aradhana Author(s): Bhuvanbhanusuri Publisher: Divya Darshan TrustPage 12
________________ १३८ श्री श्रेयांस जिन स्तवन श्री महावीर प्रभु के स्तवन गौतम विलाप स्तवन रुडी ने रढीयाळी रे.... स्तवन जिनोपदेश (थोय) • प्रेमनुं अमृत पावूछे स्तुति (थोय) विभाग १४ १४२ [१४४ से १४६] [१४६ से १५१] • सज्झाय विभाग पच्चक्खाण का महत्त्व गंठिसहियं पच्चक्खाण का महत्त्व नवकारशी और शाम का पच्चक्खाण चौबीस तीर्थंकरों के नामादि आरती - मंगल दीवो कुंजर समा शूरवीर जे छे सिंहसम निर्भय वली गंभीरता सागर सभी जेना हृदयने छे वरी जेना स्वभावे सौम्यता छे पूर्णिमाना चन्दनी एवा प्रभु अरिहंतने पंचांग भावे हुं नमुं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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