Book Title: Appanam Saranam Gacchhami
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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जो व्यक्ति अपनी शरण को नहीं खोज पाया है, वह दूसरे की शरण में जाकर भी निश्चिन्त नहीं हो सकता। यह तथ्य मात्र काल्पनिक उपज नहीं है, शाश्वत सत्य है। पारम्परिक नहीं है, जीवन में प्रयुक्त है। श्रुतानुश्रुत नहीं है, अनुभव-पूत है इसलिए मैं इसका मूल्यांकन करता हूं। 'अप्पाणं सरणं गच्छामि'महाप्रज्ञ की उस अनुभव-पूत वाणी का संकलन है, जो आत्म-समाधि के क्षणों में उद्गीत हुई है। समाधि की खोज में निकले हुए यायावरों के लिए यह कभी नहीं चुकने वाला पाथेय है। इसका पठन, मनन और निदिध्यासन समाधान की नयी दिशाओं का उद्घाटन करेगा और व्यक्ति को अपनी शरण में पहुंचा देगा, ऐसा विश्वास है।
८-१२-८०
आचार्य तुलसी दशाणी गेस्ट हाउस,
सुजानगढ़
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