Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam
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उपयोगनकही इतिहा
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नमत्रनेविवेजाव जाणवप्सेमथ जयसुत्रमथकोणतेनाला खमत्रतेको तिनोव्यागमनसमुन्नएत्रि जावजागीतेहनी-मालासमथकी
गमथक
पत्रकानेरुप्पो से. तोपान चलती बनवत्र सेते भागनादवयासेकित्तं नीमागम वसुर्यतिविपन्नत ते रेला जाणणहारनुसनी वनेद जाला हारना सही जानास प्रकासमोजाबाहाना
प्रयसुन्न प्रियसुबक
अयसनरनासरथकावतिक्रतमनेरुवीनु । जहा जाणव्यासपरखासयाजवियसीमदछमयाजागसीरनवियसरीरवरितरवसुर्य कायुकेरल जासएमसरीरमव्यसुत्रत सुनना पदमथनामधीका जाएगहनुसरीरचेतना प्राकारह को एकदिय
1 रनो सेकिंत जायसीररवसुर्यासुयपयगहिकारजालयस्सर्जसरी ववमयनुयचविय यजेती गपचतजभणेश्हपाजलारजा मथते जाएसरी ससुत्रायकोलअविवसनी
करिहयसुत्र चत्तादेह वेवधवनगियनापियवेजावा सेजालयसपिरवस्यसकिंतनवियसरीख जजीवजानीमहोमिकल्याजम्यो जिम व्यावस तिमव्यसुत्रनल जावन मथत्तनवियसरीपद्रव्य
जीवेजोनिम्मशिवमहामनावतानानाणितजावतंत्रवियसनीग्दछ आयकोजा०जाणहारसीरचकानाएपहारनासरथका देखापाता। पोतानासमोहपोथा ते। यत्तिरक्तसरोवीजो द्रव्यमुत्रतेको छ ।
सनले लिष्ट सय सिकिंतजालयसनी वनवियसरीरवशरत पदचसुयरतं । पत्या पोळ्यलिहिय मजा जाए-जबियसनी व्यतिर पंपाचवका प
न्तदेबा•ाथकी वोकलयकी क्तजव्यत्र
उपनापनीकोकायकी हवाजालयनवियसरवरिवसुय। पंचविहंचनतंतजहाअंडया बोरय
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