Book Title: Anuyoga Dwar Sutra
Author(s): Aryarakshit, Shivchandra Porwal
Publisher: Ratlam
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प्रथमत्रह जाथसाभला पाळलेषहर बारमायअद्यतेलोकीकजरवपखस सेअथकातनावचमीकजाचा किसानलगाककाहर
मजावन्नावसककोलते
वस्मयंपुच्चएहमारहावरण्हेरामायलासेतलोयनावावसयासेकितकव्यावयणियेभावा जेएनता-जानतानिहामिल्योतिहा चहितेजा चाबकाएदेशसाप्रसेनतनीपॐनमस्काररस्पाशि
बायतेविरमासिविर बसजिलाजलीप्रनिहामकारकरीसरकारक वर्यजेत्रमेचरगचायजावपाडवाइजलिहोम जव्याधहरुक्वणमोकारमाश्याई जावावा करेले सेते क ऊप्राक्चनीकना वाप्रवचनसास्त्रककहीरसेलोकातनाव सक
चरचमकसितमा जहनेतकावननी अथका प्रावसक भावावस्सयारकति सेनेऊण्याचवणि नावाचस्सयसेकिंतालोउतरियनावाव स्सय जजनमलसाम्म अमलानीसाथ प्रावक प्राविका जमावसकघरे जिनपरेमा हनीजलेस्पा तेहपान मायामीनाथवा
चितनले
मक नसभणवा समणिवा सावल्वासावधावातविक्षतम्मरीतिलोत्तदशवसिए। afa अपरिपत्रवसा तहनेविसअतिक्रन्नधय जेहनतन्त्रानसकुना तेन्यावसकनेविषेरजोहर यानाजीराजेणे मायक्रियामनुष्यानामपिरेमपजोगवंतालमोस्पतास्तरबचतप्रावसको
जान्चाममचनका वसवसारतियहीवनातयप्पिथकरणातभावाभाविएएमनोविमा जावनाजावित विममममन निथकर उपनात्ततथा मावसकको से०प्र०तालाकोत्तरभावना नावचनोक्तधर्मशिगन विस्त संध्याय
वसंक[विया धम्भरागरतालजयकाललावसयकरे। सेलोगशरियभावावमय। साल माया नमागमक्रियासहित तेमावसकना एप्रनतका जुदार घोषजुदान नामपहिही जावयावसककहि ।
मचर सतनोमागमभावाचम्सयतसमेतजहियानालाघासानागाजा

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