Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 08
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 114
________________ [109] एवो आप्यो छे, अने 'पाइअसद्दमहण्णवो 'मां पण एने आधारे एक अर्थ ए प्रमाणे आप्यो छे । हवे हेमचंद्राचार्यना व्याकरणना अपभ्रंश विभागना नीचेना उदाहरणमां 'कसरक्क' शब्द मळे छे. खज्जइ नउ कसरक्केहिँ पिज्जइ नउ पुंटेहिं । एवँइ होइ सुहच्छडी, पिएँ दिट्ठएँ नयणेहिं ॥ (८, ४, ८२३.२) अर्थ : प्रिय 'कसरक', 'कसरक' एम करतां खवातो नथी, 'घट घट' पीवातो नथी. प्रियने नयनो वडे मात्र जोतां एम ज सुखशाता थाय छे.' । आमां कोईक कडक खाद्य पदार्थ स्वादपूर्वक चावतां थतो 'कचडकचड' अवाज एवा अर्थमां एक उदाहरण तरीके 'कसरक्क' शब्द आप्यो छे । अने 'वज्जालग्ग'नी गाथामां पण तेनो आज अर्थ थाय छे. स्वादपूर्वक केरडाना कटका माणवानी वात छे । - टीकाकारे मूळ अर्थ न जाणवाथी संदर्भने आधारे अटकळे ज 'कळी' एवो अर्थ कर्यो छे. 'वज्जालग्ग' ना संपादक पटवर्धने हेमचंद्रे आपेला प्रयोगनी नोंध लीधी छे (पृ. ४४९ - ४५०), परंतु टीकाकारना अर्थ विशे कशी शंका नथी करी. ३. सं. केकाण नवमी शताब्दीना अपभ्रंश महाकवि स्वयंभूदेवना काव्य 'पउमचरिउ'मां एक स्थळे देश देशनी विख्यात वस्तुओ वगेरेनी जे सूचि आपी छे तेमां 'तुरउ केक्काणउ'- एटले के केकाणनो घोडो प्रख्यात होवानुं कह्युं छे (संधि ४५, कडकक ४, पंक्ति ८) । आ केकाण एटले बलुचिस्तानना उपरना भागमां आवेलो 'कय्कान' नामनो प्रदेश | हेमचंद्राचार्य वगेरेना कोशोमां पण खुरासाण इराक, तुर्कस्तान वगेरे प्रदेशोना घोडाओना, अने तेमना रंग अनुसार 'कोकाह', 'खोंगाह', 'सेराह', 'वोल्लाह' वगेरे अरबी नामो साथे निर्देश छे ("अभिधानचिन्तामणि', १२३७ थी १२४३) । में ' शब्दकथा' मां (पृ. ॥ २३, ६३) आनो सहेज स्पर्श कर्यो छे. परंतु सद्गत विद्वान पी. के. गोडेनो आ विदेशी अश्वनामो उपर एक संशोधन - लेख वर्षो पहेलां प्रकाशित थयेल छे । काना ते पछीना साहित्यमां पण उल्लेखो थयेला छे, जेम के 'उपदेश Jain Education International For Private & Personal Use Only = www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142