Book Title: Anusandhan 1997 00 SrNo 08
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 134
________________ [1291 पछीथी 'जादू-टोना'ना एक प्रकार तरीके (कोईनी उपर भभूतनी चपटी नाखी के चपटी वगाडी तेना पर कामण- ट्रमण करवू) ए ते लाक्षणिक अर्थमां वपरावा लाग्यो होय । देशको.मां चप्पुट्टिका ने बदले चप्पुटिका एवो सुधारो करवो। खडियाचुप्पडियामां पण चुप्पडिया भ्रष्ट पाठ छे । त्यां खडिया छे, तो व्यवहारभाष्यनी टीकामां खिटिका छे, जेनुं प्राकृत स्वरूप खिडिया थाय । कयुं शब्दरूप साचुं छे तेनो निर्णय करवो जरूरी छ। __पहेणग : एनो सर्वसामान्य अर्थ उत्सव निमित्ते खाद्य पदार्थनी लहाणी करवी एवो छ । देना० ६, ७३मां तेना पर्याय तरीके लाहण आप्यो छे। 'संन्यासीने अपातुं भोजन' ए संदर्भने आधारे करेलो अर्थ छ । पद्दिया : भ्रष्ट शब्दरूप छे । पड्डिया ज खरं छे । मूळे द्राविडी शब्द प्राकृतमा प्रचलित थयेलो छ । हिन्दी पाडी, गुज. पाडी वगेरे । जुओ टर्नरनो कोश, पाड्ड, क्रमांक ८०४२ भ्रष्ट रूप छे । पाणद्धि जोइए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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